श्रीमद्भागवतम् एक दार्शनिक तथा साहित्यिक महाकाव्य है, जिसे भारतीय वाङ्मय में प्रधान स्थान प्राप्त है। संस्कृत के प्राचीन ग्रन्थ वेदों में कालातीत ज्ञान व्यक्त हुआ है, जो मानवीय ज्ञान के समस्त क्षेत्रों का स्पर्श करने वाला है। प्रारम्भ में वेदों की मौखिक परम्परा थी, जिसे “ईश्वर के साहित्यिक अवतार” श्रील व्यासदेव ने सर्वप्रथम लिपिबद्ध किया। वेदों का संकलन कर लेने के बाद श्रील व्यासदेव के गुरु ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे वेदों के अगाध ज्ञान को श्रीमद्भागवतम् के रूप में प्रस्तुत करें। “वैदिक वाङ्मय रूपी वृक्ष के परिपक्व फल” के रूप में विख्यात श्रीमद्भागवतम् वैदिक ज्ञान का सर्वाधिक पूर्ण एवं प्रामाणिक भाष्य है। श्रीमद्भागवतम् लिख लेने के बाद श्रील व्यासदेव ने इसे अपने पुत्र श्रील शुकदेव गोस्वामी को पढ़ाया, जिन्होंने इसका प्रवचन गंगा नदी के पावन तट पर साधुओं की सभा के समक्ष किया। यद्यपि महाराज परीक्षित राजर्षि एवं चक्रवर्ती सम्राट थे, किन्तु जब उन्हें अपनी मृत्यु की सूचना सात दिन पहले प्राप्त हुई, तो उन्होंने अपना सारा साम्राज्य त्याग दिया और वे आध्यात्मिक प्रकाश प्राप्त करने के लिए गंगा नदी के तट पर चले गए। राजा परीक्षित के प्रश्न एवं श्रील शुकदेव गोस्वामी द्वारा दिये गए प्रेरणादायक उत्तर ही श्रीमद्भागवतम् के मूलाधार हैं। श्रीमद्भागवतम् का यह संस्करण विस्तृत एवं पाण्डित्यपूर्ण टीका से युक्त है। यह कृति भारतीय धर्म तथा दर्शन के सुप्रसिद्ध शिक्षक कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद् ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद के पाण्डित्यपूर्ण एवं भक्तिमय प्रयास का फल है। उनके संस्कृत ज्ञान एवं वैदिक संस्कृति से उनकी घनिष्ठता से ही इस महत्त्वपूर्ण महाकाव्य का भव्य भाष्य प्रकट हो सका है। मूल संस्कृत पाठ, शब्दार्थ, सरल अनुवाद एवं विस्तृत टीका होने से यह कृति विद्वानों, विद्यार्थियों तथा सामान्य जनों को समान रूप से रुचिकर लगेगी। भक्तिवेदान्त बुक ट्रस्ट द्वारा कई खण्डों में प्रस्तुत किया गया यह मूल पाठ दीर्घकाल तक आधुनिक मानव के बौद्धिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त करता रहेगा। समीक्षकों की दृष्टि में श्रीमद्भागवतम् के सम्बन्ध में कोलम्बिया विश्वविद्यालय के संस्कृत के प्रोफेसर डा. एलेक्स वेमैन का कथन है : “ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद द्वारा प्रस्तुत श्रीमद्भागवतम् के अत्यन्त प्रामाणिक संस्करण को पढ़कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह चिरस्थायी कृति श्रीमद्भागवतम् के दिव्य संदेश को उन असंख्य पाश्चात्यवासियों तक पहुँचाएगी, जो इस अवसर से वंचित रह गये होते।” मिशिगन विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग के प्रोफेसर सी. बी. अग्रवाल ने अंग्रेजी संस्करण के सन्दर्भ में लिखा है : “श्रीमद्भागवतम् पाठकों की कई श्रेणियों के लिए मूल्यवान् स्रोत सामग्री है। दर्शन के व्यावहारिक पण्डित इस मूल संस्कृत पाठ, उसका रोमन लिप्यन्तरण, अंग्रेजी शब्दार्थ, अंग्रेजी अनुवाद तथा विस्तृत टीका प्रस्तुत किये जाने से धर्म तथा दर्शन के गम्भीर जिज्ञासुओं एवं विद्वानों को यह मोहे बिना नहीं रहेगी। मैं इस कृति को एक महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में संस्तुत करता हूँ।” न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी के प्राच्य विभाग के प्रमुख डॉ. जॉन एल. मिश की सम्मति है : “भक्तिवेदान्त बुक ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत किये गए भारत के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थों के नये अनुवाद एवं भाष्य से युक्त संस्करण आध्यात्मिक भारत के वर्धमान ज्ञान की दिशा में महत्त्वपूर्ण वृद्धि है। श्रीमद्भागवतम् का यह नवीन संस्करण विशेष रूप से अभिनन्दनीय है।”
Srimad Bhagavatam Mahapurana (18 Vol. Set)- Hindi (हिन्दी)
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Product Details
No Of Pages: 13318
Author: His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada
Language: Hindi
ISBN Code: 978-93-86956-78-1
Book Size: 33 X 47 X 20 (Cms)
Weight: 17.4 (Kgs)
SKU: HND072
Categories: Bhagavata Purana, Hindi, Indian Languages, Marathon 2020 Books
Tags: Best selling Books for self help -positive motivation -success and happiness in life, Best selling Indian-meditation- wisdom and spirituality books, iskcon bhagvatam hindi, Srimad Bhagavatam full set 12th Canto Hindi, Srimad Bhagavatam In Hindi, Srimad Bhagavatam Mahapurana hindi, Srimad Bhagavatam Purana Hindi, srimad bhagvata Purana in hindi, srimad bhagvatam hindi
Weight | 20000 g |
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Brand
Bhaktivedanta Book Trust
The Bhaktivedanta Book Trust (BBT) is the world’s largest publisher of classic Vaishnava texts and contemporary works on the philosophy, theology, and culture of bhakti-yoga. Its publications include traditional scriptures translated into 87 languages and books that explain these texts. The BBT also publishes audiobooks and eBooks. BBT titles range in complexity from brief, introductory volumes and summary studies to multivolume translations with commentary.
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